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Black Magic/ काला जादू / टोना
सदियों के दौरान, जादू का सबसे तत्वों को निर्दिष्ट किया गया है के रूप में काले रंग का जादू या बुरी रूपों जादू.. इस गलतफहमी आम है, जादू का सबसे तत्वों और अपनी समझ के रूप में ऊर्जा का अच्छा तत्व .. पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं काला कला और एक उलझन जादूगर या टोने से एक निजी पहलू है .. सब जादू या चलानेवाले कि जानबूझकर अंत में एक होगा wielder चोट करना, अंत में नुकसान दुसरे को शारीरिक या मानसिक चोट पहुचना होता है!
काला जादू क्या है?पहले सब काले जादू या बुरा जादू कर राशि जाने के रूप में कुछ यह बहुत से लोग भी वहाँ रहती है, लोगों के साथ छेड़खानी, लालच छेड़खानी, एक नकारात्मक रास्ता है जो स्वयं ही .. लाभ में ऊर्जा को नियंत्रित करने भर जाने बिना जादू के लिए इस प्रपत्र कर रहे हैं अगर हम बेहतर ऊर्जा हेरफेर के इन रूपों को समझ सकता हूँ या तो जीवन के इस आम पहलू से खुद को बचाने के आसान नियंत्रण.
गलत समझा काला जादू का एक उदाहरण –काला जादू का एक अच्छा उदाहरण ऊर्जा के किसी भी रूप, कि नकारात्मक अपनी सेहत या बिजली प्रभाव से (आंतरिक स्वतंत्रता) .. विकल्प बनाना है यह अपने बॉस के साथ काम करने पर एक प्रभाव है जहाँ तुम इतने के लिए उपयोग किया जाता है हो सकता है कहा जा रहा है कि तुम क्या करने के लिए कर रहे हैं कि यह क्या तुम .. के लिए कर रहा है के अनजान यह बात जहाँ पैसा अपने जीवन और भावनात्मक दूसरों की प्रतिक्रिया हो जाता है .. कोई अस्तित्व ही नहीं हो सकता है पैसे का पीछा करते हुए एक अन्य उदाहरण के संबंध में एक अपमानजनक हो सकता है, जहां एक भागीदार दूसरे, यह कुछ और है भावनात्मक काला जादू .. साथ नहीं भ्रमित कर चोट पहुँचाने से बाहर खुशी हो जाता है
यह काला जादू उपयोगकर्ता के पास वापस आता है
अब जब कि मैं एक कुछ उदाहरण मैं बताता हूँ यह अंततः क्यों नकारात्मक विएल्डर नकारात्मक या काले जादू .. के साथ जो tampers असर होगा नाम है क्या आइंस्टीन ने कहा कि हर कदम एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया यह ऊर्जा के साथ ऐसी ही है .. हकदार को इसी तरह के यदि आप और ले ले और यह नकारात्मक का उपयोग कर रखने के लिए, यह आप और प्रभाव के बारे में वापसी करेंगे विनाशकारी हो सकता है .. यह आपको निराश या आत्महत्या या यहाँ तक कि कैंसर के कारण कुछ .. नाम कर सकते हैं यह सुनिश्चित करें कि ऊर्जा है, जो हम सब के अलावा है हमेशा सकारात्मक रहे है, उस तरह के सभी उपयोग करना ही अधिक .. लौट सकते सकारात्मक महत्वपूर्ण है
अब जब कि मैं एक कुछ उदाहरण मैं बताता हूँ यह अंततः क्यों नकारात्मक विएल्डर नकारात्मक या काले जादू .. के साथ जो tampers असर होगा नाम है क्या आइंस्टीन ने कहा कि हर कदम एक समान और विपरीत प्रतिक्रिया यह ऊर्जा के साथ ऐसी ही है .. हकदार को इसी तरह के यदि आप और ले ले और यह नकारात्मक का उपयोग कर रखने के लिए, यह आप और प्रभाव के बारे में वापसी करेंगे विनाशकारी हो सकता है .. यह आपको निराश या आत्महत्या या यहाँ तक कि कैंसर के कारण कुछ .. नाम कर सकते हैं यह सुनिश्चित करें कि ऊर्जा है, जो हम सब के अलावा है हमेशा सकारात्मक रहे है, उस तरह के सभी उपयोग करना ही अधिक .. लौट सकते सकारात्मक महत्वपूर्ण है
काला जादू के शिकार – रक्षा स्वयं ही!
यह दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष शिकार है, अगर आप ऊर्जा या नुकसान के शिकार हैं यह काला जादू करने के लिए अपने आप को अपनी ऊर्जा के साथ .. बचाव की कोशिश जरूरी है सकारात्मक हो और उन है कि ऊर्जा के स्तर के पास से भारी मात्रा में सलाह ले, तो हमारे चारों तरफ अच्छा जादू प्रयोक्ताओं के बहुत सारे हैं, जो नहीं जानता कि वे अच्छे के लिए फिराना या ऊर्जा का भी नहीं जानते होंगे, लेकिन हमेशा से मदद करने को तैयार हैं ..
यह दुर्भाग्यपूर्ण पक्ष शिकार है, अगर आप ऊर्जा या नुकसान के शिकार हैं यह काला जादू करने के लिए अपने आप को अपनी ऊर्जा के साथ .. बचाव की कोशिश जरूरी है सकारात्मक हो और उन है कि ऊर्जा के स्तर के पास से भारी मात्रा में सलाह ले, तो हमारे चारों तरफ अच्छा जादू प्रयोक्ताओं के बहुत सारे हैं, जो नहीं जानता कि वे अच्छे के लिए फिराना या ऊर्जा का भी नहीं जानते होंगे, लेकिन हमेशा से मदद करने को तैयार हैं ..
एक बार जब आप सलाह है या आप wielder की पहचान करने और उन्हें भावनात्मक सुरक्षा .. के साथ सामना मदद की ज़रूरत है तुम उन्हें काला जादू के बारे में नहीं पूछा के रूप में सबसे अधिक पसंद है क्या होगा सकते हैं .. लेकिन आप उन्हें बता सकते हैं कि वे कैसे कर आपको लगता है और फिर कहते हैं कि तुम मुझे इस तरह से कभी नहीं फिर से लागू होगा और मजबूत हो .. कभी कभी चलते दूर मदद लेकिन आप इन ऊर्जा के रूप में वे एक ऊर्जा निशान छोड़ है कि आप महीने के लिए .. चोट कर सकते पहली नशेड़ी सामना करना चाहिए कर सकते हैं कभी कभी काला जादू wielders कि उन्हें लगता है कि वे आसानी से नियंत्रण या जो पीढ़ी अच्छे हो सकते हैं!
टोना जागे भूत भागेदीपावली की मध्य रात्रि में टोना जगाने की प्रथा आज भी प्रचलित है. उसी दिन गांव के बाहर एकान्त स्थान पर स्त्री निर्वसन होकर टोना सीखती, सिद्ध करती और ताजा करती है. सिद्धि की प्रक्रिया में सात सुई और डोरा प्रयोग में लाया जाता है. स्त्री टोने का पहला मन्त्र पढ़कर रात्रि के घोर अन्धकार में सुई के सूराख में डोरा डालती है. दूसरा मन्त्र पढ़कर अपने इष्ट देवी-देवता या पिशाच का आवाहन करती है. जब उस पर इष्ट का पूर्ण `आसेव’ हो जाता है तो वह तीसरा मन्त्र पढ़कर सुई को अपने गुप्तांग में प्रवेश कराती है. मन्त्र के प्रभाव और इष्ट की कृपा से जब सातों सुइयां बिना किसी प्रकार की पीड़ा और रक्तस्रराव के प्रवेश कर जाती हैं तो टोना सिद्ध हो जाता है. टोना सिद्ध हो जाने के बाद वह स्त्री डोरे की सहायता से, सातों सुइयों को एक-एक कर निकाल लेती है. टोना सिद्ध करने के बीच,
अगर कोई व्यवधान, पीड़ा या रक्तस्राव हो तो टोना असफल समझा जाता है फिर उसे सारी प्रक्रियाएं पुन करनी पड़ती हैं. टोने का मंत्र सिद्ध कर लेने पर वह स्त्री निविड़ अंधकार में अपने इष्ट देवी-देवता और पिशाच को विशिष्ट आवाज में एकबार पूरी शक्ति के साथ चित्कारती हुई किसी भी दिशा में दौड़ पड़ती है. उस वक्त ऐसा लगता है कि जैसे उसके भीतर कोई अति मानवी शक्ति आ गयी हो और वह उस विक्षिप्तावस्था में लाल आंखों, बिखरे बालों के कारण दानवी बन गयी हो. कहते हैं जब वह चिल्लाकर दोड़ रही होती है, उस समय साहस कर अगर कोई उसके केश पकड़ लेले, तो वह स्त्री उसके वश में हो जाती है.
अगर कोई व्यवधान, पीड़ा या रक्तस्राव हो तो टोना असफल समझा जाता है फिर उसे सारी प्रक्रियाएं पुन करनी पड़ती हैं. टोने का मंत्र सिद्ध कर लेने पर वह स्त्री निविड़ अंधकार में अपने इष्ट देवी-देवता और पिशाच को विशिष्ट आवाज में एकबार पूरी शक्ति के साथ चित्कारती हुई किसी भी दिशा में दौड़ पड़ती है. उस वक्त ऐसा लगता है कि जैसे उसके भीतर कोई अति मानवी शक्ति आ गयी हो और वह उस विक्षिप्तावस्था में लाल आंखों, बिखरे बालों के कारण दानवी बन गयी हो. कहते हैं जब वह चिल्लाकर दोड़ रही होती है, उस समय साहस कर अगर कोई उसके केश पकड़ लेले, तो वह स्त्री उसके वश में हो जाती है.
टोना करके प्रेम बढ़ावें
टोना जानने वाली स्त्री तीन स्थितियों में टोने का मंत्र मारती है– अपमान, ईर्ष्या और प्रेम में. लेकिन किसी भी स्थिति में वह पहल नहीं करती जब तक उसे छेड़ा न जाय. प्रेम-प्रंसग में वह टोना करके अपने प्रेमी के चित्र पर सर्प बैठाल देती है. वह सर्प वास्तव में उसी का प्रतिरूप होता है. टोने का वशीभूत पुरुष जब भी किसी रूपवती स्त्री या अपनी विवाहिता को देखता है, तो वह भी उसी टोनहिन स्त्री सदृश दीखती है.
टोने का वशीकरण बहुत ही प्रभावशाली और भंयकर होता है. वशीकरण में बंधे व्यक्ति को जब घरवाले मुक्त कराने का प्रयास करते हैं तो टोनहिन भरसक अपने मंत्र के प्रभाव को अपने प्रेमी पर बनाये रखने की चेष्टा करती है.
विफल होने पर वह प्रतिशोध की भावना से प्रेमी के चित्र पर बैठे मंत्र रूपी सर्प से प्रेमी को डंसाती है. इस प्रकार डंसा व्यक्ति फिर सामान्य व्यक्ति के रूप में जीवित नहीं रह पाता है.
टोनहिन मारे टोना, औझा करे औझाई जब टोनहिन के होने की बात प्रमाणित हो जाती है तो उस स्त्री के सामने दो ही विकल्प होते हैं या तो वह टोना खींच ले या कठोर दण्ड भोगे. टोनहिन होने के सन्देह में कभी-कभी निर्दोष स्त्री भी दण्ड पा जाती है. आदिवासी समाज में ओझा और बैगा का निर्णय अन्तिम होता है तथा टोनहिन के लिए इनके यहां दण्ड-विधान अनिवार्य होता है.
पिछले दिनों सहसा ऐसी ही एक क्रूर और रोमांचकारी घटना का किसी गाँव में पता चला था.टोटका : नंगे नाचे पानी बरसे
बताया जाता है कि एक व्यक्ति कई वर्षों से बीमार चला आ रहा था. दवादारू से असफल हो वह ओझा के पास गया. औझा ने उसकी बीमारी का कारण उसी गांव की उजरिया नामक स्त्री के टोने का प्रभाव बताया. उजरिया उसी गांव की लगभग साठ वर्षीया बियार जाति की स्त्री थी. नाई उसके घर गया. उजरिया को एकान्त में ले जाकर विनती की–`दाई, अपना टोना खींच ले. कोई गलती हो गयी हो तो क्षमा कर. मैं तेरी और तेरी इस देवी की हर मनसा-मांग पूर्ण करूंगा.’ उजरिया ने अपना वक्ष दिखाकर उसे विश्वास दिलाना चाहा कि उसके प्रति उसका सन्देह गलत है. इससे नाई संतुष्ट नहीं हुआ. नाई ने एक रात अपने क्षेत्र के कई ओझाओं का अपने घर जुटान किया. उजरिया बुलवायी गयी. ओझाओं के मंत्र-प्रभाव से उजरिया के सिर पर देवी की असवारी आयी. वह हबुवाने लगी. देवी ने उजरिया की ही टोनहिन बताया. देवी के शान्त होने पर ओझाओं ने उजरिया को टोना खींच लेने के लिए कुछ और समय दिया. समय गुजर गया लेकिन नाई ठीक नहीं हुआ. नाई ने पुन: एक रात गांव तथा आसपास के ओझाओं बुलाया! उजरिया फिर बुलवायी गयी. जब वह उनके बीच आकर बैठी तो प्रधान औझा ने उसका अपराध बताया–`उजरिया, तूने देवी की बात को झुठलाया है और ओझा के आदेश की अवमानना की है, अत: तुझे अपने इस अपराध-कर्म के लिए `विष-दण्ड भोगना होगा. उजरिया नतमस्तक बैठी रही. उसकी मांग मूड़ दी गयी. मांग में घाव कर रक्त निकाला गया. पीछे से केश काट लिये गये. जिव्हा, मुख पर और जाघों के बीच में भी घाव कर के रक्त निकाला गया. औरत के महीने का कपड़ा पानी में भिगो कर एक कोरे मिट्टी के कटोरे में निचोड़ कर उपयुर्क्त तीनों स्थानों का रक्त मिलाकर उसमें उजरिया से थुकवाया गया. इस जहर के कटोरे को उज रिया के हाथ में देकर प्रधान ओझा ने आदेश दिया–`पी जा.’ उजरिया उस विष को पी गयी और उसी क्षण उजरिया के टोने के विष का प्रभाव हमेशा के लिए खत्म हो गया. नाई के घर से विष पीकर निकली उजरिया उस रात के अंधेरे में कहां गायब हो गयी यह आज तक किसी को भी मालूम न हो सका.
टोना शत्रु के अनिष्ट के लिए किया जाता है, जब कि टोटका अपने हित के लिए ही किया जाता है. जब किसी को लड़का पैदा नहीं होता या पैदा होकर मर जाता है, कोई अधिक दिन तक बीमार रहता है, किसी का प्रेमी या प्रेमिका रूठ जाती है, किसी के व्यापार या कमाई में वृद्धि नहीं होती–भूत-प्रेत की बाधा रहती है, तो टोटका करके ठीक किया जाता है. टोटका प्राय: रवि, मंगल या शनिवार को किया जाता है. दीपावली के दिन टोटका का विशेष महत्व होता है. उसी दिन `वान मारा’ जाता है. मन्त्र जगाया जाता है तथा अपने इष्ट को सिद्ध किया जाता है.
विश्वास है कि रवि या मंगलवार को उड़द की दाल की खिचड़ी पका कर काले कुत्ते को खिलाने से पुत्र की प्राप्ति होती है. अकाल होने पर गांव की स्त्रियां समुह में नंगी होकर सूखे खेत में हल जोतती हैं और नाचती हैं तो वर्षा होती और अच्छी पैदावार हो जाती है. भोर में उठकर किसी चौराहे पर दीपक जलाकर सिन्दूर पोतकर कच्चा डोरा चढ़ाकर पूजा करने से प्रेत-बाधा समाप्त हो जाती है. प्राय: जो व्यक्ति सर्वप्रथम उसे लांघता है प्रेत-बाधा उसके पास चली जाती है. इसे दूसरे शब्दों में `थोपना’ कहा जाता है. कभी-कभी बरगद या पीपल के वृक्ष में कच्चा डोरा बांधकर भी टोटका किया जाता है. कुंआ तालाब या नदी के तट पर दीपक जलाकर या जल में दीप-दान करके भी अपने घर आयी बाधा दूसरे पर थोपी जाती है. कुछ घरेलू टोटके जो अमूमन इस्तेमाल किये जाते हैं, जैसे:–
बच्चे का रोना बन्द करना–सरसों, मिर्च (लाल) लोहबान तथा नमक लेकर बच्चे को ओइछना तथा उन वस्तुओं को आग में जलाना.
बुखार से मुक्ति के लिए
रोगी की लम्बाई के बराबर कच्चा घागा बरियार के पेड़ में बांधना तथा एक टोड़ा नमक वहीं रख देना. तीन दिन पर बुखार आने पर नमक लेकर किसी कपड़े में रख कर नाड़ी में बांध देना.
चौथिया बुखार में
गुड़ और सांप का केचुल भांग में मिलाकर बांह में बांधना.
पलई के दर्द के लिए
अमावस का काजल लेकर पलई में दोनों ओर टीका देना.
अधकपारी में
सूर्य को चलनी दिखाना, रोगी को चलनी के पानी से ओइछना तथा पुन: उस पानी को चलनी में से पार करके लोढ़ा से ओइछना. अनेक टोटके लोगों के बीच भी देखे जाते हैं. बच्चों को दिठौना इसका उदाहरण है.
मंत्र देवी–वाक्य और तंत्र?
मान्यता है कि टोना सिद्ध करना मंच सिद्ध करने की अपेक्षा कठिन होता है. मंत्र को पढ़ उसे फेंका जाता है जबकि टोना केवल संकेत मात्र से काम कर जाता है. मंत्र को सिद्ध करने के लिए भेड़, बकरा, मुर्गी, मुर्गा और शराबकी आवश्यकता पड़ती है. टोना सिद्ध करने के लिए गिरगिट, बिल्ली, बछिया और आदमियों के मल-मूत्र की. मंत्र झाड़ने का यंत्र कुत्थी, राख और बाना होता है. टोना केवल करइन और झाडू, से ही झाड़ा जाता है.
मंत्र क्या हैं? पूछने पर मिसिर माझी-गांव के सिद्ध गुरु बलिकरन ने बताया–`मंत्र देवी–वाक्य है जिसमें बेधने की शक्ति होती है. मंत्र देवी के प्रसन्न होने पर, उनकी कृपा से प्राप्त होता है. गुरु ने मंत्र के विषय में कुछ और अधिक बताने के लिए एक पाव शराब की मांग की. शराब पीकर भगवती के धाम पर बैठकर उसने बताया कार्तिक से वैशाख तक शाम को मंत्र पढ़ता हूँ. चेले मंत्र को इसी धाम के इर्दगिर्द बैठकर सिद्ध करते हैं.
मंत्र सिद्ध करने को `हबुआना’ कहते हैं. हबुआना अर्थात् मंत्र को इस तेजी के साथ पढ़ना कि मन्त्र के शब्द स्पष्ट मालूम न पड़े. धाम पर रखे बाने को अपने शरीर में बेधकर शिष्य मन्त्र के सिद्ध हो जाने का प्रमाण देता है.
शरीर में बाना बेधने से अगर पीड़ी अनुभव हो और रक्त निकल आये तो सिद्धि असफल है. अपने ही शरीर में नहीं, दूसरे के शरीर में भी बेधकर अपने मन्त्र के पूर्ण सिद्ध हो जाने का प्रमाण देना पड़ता है. अगर मन्त्र सिद्ध है तो दूसरे के शरीर में भी बाना बेधने से पीड़ा नहीं होती, रक्त नहीं निकलता मन्त्र इस प्रकार है:–
`शिवरतन गुरु, उदराज गुरू, मनहार गुरु, गुलाल गुरु, कौनर गुरुवाइना, माले
पाठ बहिया आयो, गुन गंवारी, बात हमारी, हम हई मोहनी भारी, बारह मनकश् शंकर
देयी घुमायी. बड़बड़ भूतन मार गिरायी. छोटे-मोटे करीं अहारा. जै दिन
निर्मल भूत न मिले, तै दिन करीं उपवास, काली कंडरे छोड़े बान,
कुल-कुल-कुल-कुल कालीचरै, बावन विघाकेइ भलाई, तवन काली आय गढ़, गुरु
दोहाई महादेव दोहाई, छत्तीसों कोटी देवता कश्दोहाई.’
उपर्युक्त मन्त्र सिद्ध हो जाने पर जिस मन्त्र को पढ़कर ओझा बैगा, सोखा
दुरात्मा और उसके टोने का नाश किया करते हैं, वह मन्त्र नीचे दिया जा रहा
है. इस मन्त्र से कुछ आत्माओं के नाम और टोने के किस्म की जानकारी होती
है–`रैमल गुरु, गुसैमल गुरू, सदई गुरु, सहास गुरु, अंधी गुरु, गाजना
गुरू, जाधन गुरू, जगदम्बा गुरू, जाता गुरू, खंजनी गुरु, मंजनी गुरु,
दोहाई गुरू नरसिंह की. अरघाबांधी, परदा बांधी, तीन खूट के भूत के
बान्हें, गुरू बान्हें गुरु भाई बान्हें, गुरुक चेला बान्हें, धरती डोले,
पृथ्वी डोले, गुरुका बान्हा ना छूटे, दोहाई गुरु नरसिंह क. बान्हीं आदि
तमसान बान्हीं, काल गुरैया इसको टोना, विसको टोना, राकस बान्हीं, मोकस
बान्हीं, चुसूल बान्हीं, डाइन बान्हीं, भुल्चू बान्हीं ले बान्हीं कमरू
कमच्छा दोहाई गुरु नरसिंह क.’
बाना बांधे गुरदम भांजे दोहाई गुरू नरसिंह कश् देवी के अस्त्र को बाना कहते हैं. हर चौरे पर लोहे का एक त्रिशुल (बाना) गड़ा रहता है. त्रिशुल के अतिरिक्त बाना डीह के आकार का बारीक कोड़े का भी बना होता है. उसको मोर के पंख के कूचें में सुरक्षित रखा जाता है. इसी बाने को अपने ठुड्डी जिह्वा, भुजा में बेधकर औझा बैगा अपने चमत्कार का प्रदर्शन करते हैं. बाने का भी एक मन्त्र है. यह मन्त्र है. यह मन्त्र एक सम्वाद के रूप में पढ़ा जाता है:–
`लोहार बेटी! लोहार कहां गइल?
`धवलगिरी’
`का करे?’
`छन्नन छावै.’
`चन्नन छाके का करिहैं?’
`कोयला बनइहैं.’
`कोयला बनाके का करिहैं?’
`छरी बनइहैं.’
`छूरी बना के का करिहैं?’
`टोना कटिहैं’ टायस कटिहैं, नाघन कटिहैं, पाघन कटिहैं, सात समुन्दर सोरह
धार, कच्छ मच्छ ले बहवइहैं, दोहाई गुरू नरसिंह कश्.
बाना की ही तरह औझाई का एक अस्त्र गुरदम होता है जो लोहे का बना होता है. लोहे के कड़े में दो सीकड़ें लटकती रहती हैं जिनके सिरे पर लोहे के दो गोले लगे होते हैं. ओझा कल्ले में अपना पंजा फंसाकर पैंतरा भांजते हुए, अपनी पीठ पर गर्दन के दोनो ओर से तीख प्रहार करता है. यह प्रक्रिया द्रुततर होती जाती है और उसकी पीठ लहू-लोहान हो जाती है. देवी के सवार हो जाने पर वह हबुआने लगता है. बिनघ-मसान कवन बोरै तपनी. दुद्धी स्थित छोटई ओझा से यह भी पता चला कि इस प्रक्रिया में घमसान बाबा की भी आराधना की जाती है. घमसान भी शक्ति के ही लोक-देवता हैं, जिनके विषय में यह कहावत प्रचलित हो गयी है–
`बिन घमसान कवन बारे तपनी.’ यानी जो कार्य किसी देवता से नहीं होता उसे भी घमसान कर दिखाते हैं. इसलिए घमसान होना लोक में एक मुहावरा भी हो गया है. इसी प्रकार के एक देवता बघउत भी होते हैं.
आज भी अनेक गांवो में धमसान और बघउत की पूजा प्रचलित है. बघउत बाबा बाघ की शक्ल के होते हैं. पकरहट के रामदास ने बताया कि जब कोई व्यक्ति बाध द्वारा मार डाला जाता है तो उसकी पूजा गांव में प्रचलित हो जाती है. गांव के लोग बघउत की पूजा मिट्टी का घोड़ा, हाथी और बाघ बनाकर करते हैं.
`माटी का घोड़ा पाटी का लगाम……’ आज भी अनेक गांवो में धमसान और बघउत की पूजा प्रचलित है. बघउत बाबा बाघ की शक्ल के होते हैं. पकरहट के रामदास ने बताया कि जब कोई व्यक्ति बाध द्वारा मार डाला जाता है तो उसकी पूजा गांव में प्रचलित हो जाती है. गांव के लोग बघउत की पूजा मिट्टी का घोड़ा, हाथी और बाघ बनाकर करते हैं.
कहावत गांवों में आज भी प्रचलित है.
टोना कला और शास्त्र की कसौटी पर खरा
टोना-टोटका, तन्त्र-मन्त्र, ओझाई-देवाई आदि षट्कर्म महज ईर्ष्या द्वेष, प्रेम-प्रपंच, जोरू-जमीन आदि के लिए ही नहीं, कला के प्रदर्शन के लिए भी होते हैं. प्राय: गांवों में टोनहिनों में प्रतियोगिताएं भी होती हैं. एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए. एक भरे तालाब को सुखा देती है,. तो दूसरी उसे देखते ही देखते पुन: जल से भर देती है. एक टोना मारती है तो दूसरी उसे रोक लेती है.
ऐसी प्रतियोगितिओं में वे एक दूसरे की जान तक ले लेने में नहीं हिचकती.
ऐसी प्रतियोगितिओं में वे एक दूसरे की जान तक ले लेने में नहीं हिचकती.
पशु-पक्षियों पर प्रयोग तो आम बात है. उनके लिए वर्ष में दो-चार प्रयोग करना अपनी कला को जीवित करने के लिए अनिवार्य है.
हिन्जेल, स्टासवर्ग, शियरर आदि जर्मनी के विद्वानों ने यह मत व्यक्त किया है कि जादू-टोना मन्त्र-तन्त्र सम्बन्धों कविताएं अतन्त प्राचीन काल से स्कैण्डिनेविया से लेकर इटली तक के अधिकांश देशों में पायी जाती रही हैं.
भारत में तो आज भी ८० प्रतिशत लोग इसमें विश्वास करते हैं.
जादू-टोना, भूत-प्रेत तथा टोटका आदि का सम्बन्ध ऋग्वेदकाल से माना जाता है. अथर्ववेद में तो अधिकतर इन्हीं सब विषयों का वर्णन है. आखिर क्या कारण है कि आज के वैज्ञानिक युग में भी ग्रामीण अंचलों में वृक्ष एवं पशु-पूजा जारी है? नीम, पीपल, बरगद आदि वृक्षों के नीचे देवी-देवता स्थापित किये जाते हैं. सेमर वृक्ष में सेमरहवा बाबा होते ही हैं इन्द्रासनी, गंवहेर, बनसत्ती, बघउत, धमसान आदि की पूजा में स्त्रियां प्राय: गीत गाती है. अक्सर वे गीत गाती है तो ओझा पर देवता सवार हो जाते हैं और वह हबुवाने लगता है. गांव में अक्सर ऐसे गीत सुनने को मिलते हैं:–
अम्मा डगर चलश्नी सारी रतिया
अम्मा के माथे टीका सोहे, दवनी है सोवरन की.
अम्मा डगर चलश्नी सारी रतिया.”
बीसवीं शताब्दी में भी भारतीय ग्रामीण जन, लोकविश्वासों के कटघरे में कैद हैं और हम स्वयं इन अविश्वसनीय सी लगती कथाओं के रूप खोजने में भटक जाते रहे हैं. अब तो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में इसका एक विभाग ही खुलने जा रहा है. देखिये कितना कार्य होता है.
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Interesting post for Marriage Problem Solution
ReplyDeleteNice post this is. Vashikaran Specialist Baba ji
ReplyDeleteNice work. Vashikaran specialist in USA
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